काफी कुछ चलता रहता है...
इस दिमाग़ में, कुछ बुरा और कुछ अच्छा...
कुछ अच्छे लोगों की संगत में...
सोचा मैं भी बन जाऊं अच्छा...
मिला ब्लॉग का ग्यान एक दिन...
सोचा ये है सबसे अच्छा...
जो सोचा कि वो है अच्छा...
ब्लॉग पे लिख कर रख छोड़ा उसको...
बिन सोचे कुछ बुरा या अच्छा...
बहुत गुणीं हैं ब्लॉग वर्ल्ड में...
ये निर्णय है छोड़ा उन पर...
कमेंट मिला तो और लिखूंगा...
क्रिटिक मिले तो सबसे अच्छा...
नहीं पढ़ा गर मुझे किसी ने...
तो समझूंगा ये है सबसे अच्छा...
Wednesday, July 23, 2008
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
बच्चन जी का प्रभाव लगता है, "मिले तो अच्छा न मिले तो और भी अच्छा"…।:)
वर्ड वेरीफ़िकेशन तकलीफ़ देता है हिन्दी से अग्रेजी में जाना पड़ता है, हटा दें ज्यादा टिप्पणी का इनाम पायेगे
मैं आपकी बात समझ नहीं पाया... लेकिन मैं आपकी प्रतिक्रिया पाकर कितना गदगद हूं... शायद इसे शब्दों में बयां नहीं कर पाऊंगा... "वर्ड वैरीफ़िकेशन"... शायद मैने जो कुछ लिखा... उसकी भाषा में कोई ग़लती है... मैं समझ नहीं पा रहा हूं.... अगर इस अनुग्रह का उत्तर मिला, तो मैं ख़ुद को सुधारने की कोशिश कर पाऊंगा... आपके उत्तर के इंतज़ार में...
आपका-
सत्येन्द्र यादव "अकिंचन"
Post a Comment